
यह स्थान भगवान श्रीराम से जुड़ी यादों को ताजा कराता है
महाराष्ट्र का यह स्थान भगवान राम के समय की यादों को ताजा करा जाता है। यही वह स्थान है जहाँ से श्रीराम और रावण के बीच दुश्मनी हुई थी। क्या आप महाराष्ट्र स्थित इस स्थान के नाम से अवगत है? अगर नहीं तो चलिए इस लेख में हम आपको उस स्थान के बारें बहुत संक्षेप में जानकारी देते है।
इस स्थान का नाम है रामटेक (Ramtek) । रामटेक दो शब्दों के मेल से बना एक शब्द है। राम के अर्थ से तो हम सब परिचित है ही। अब रहा टेक का अर्थ। तो टेक का अर्थ होता है टिकना या ठहरना। इन्ही दो शब्दों के मेल से बना है रामटेक।
अब जानते है महाराष्ट्र में रामटेक कहाँ है?
रामटेक नागपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर (Nagpur Se Ramtek Ki Duri) है। यही पर एक पहाड़ी पर रामटेक मंदिर (Ramtek Mandir) है। इस पहाड़ी के पूर्व दिशा से एक नदी भी बहती है, जिसका नाम सुर नदी है। यह नदी गोदावरी नदी की सहायक मानी जाती है। रामटेक मंदिर को गढ़ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के समीप एक तालाब भी है। तालाब के चारो ओर कई मंदिर स्थित है।

भगवान श्रीराम के समय से जुड़ी यहां घटने वाली घटनाएं
पहाड़ी पर स्थित रामटेक मंदिर केवल शिलाखंडों से बना है अर्थात इन शिलाखंडों को आपस में जोड़ दिया गया है या एक के ऊपर दूसरे को रख दिया गया है, इस कारण ये बहुत मजबूत है और टिकाऊ भी है तभी यह इतने समय से खड़ा है।
अब बात करते है, भगवान राम के समय यहां घटने वाली घटनाओ की। तो रामायण में हम पढ़ते है कि भगवान राम वनवास के समय विचरते हुए समय बिताया था अर्थात उन्होंने किसी एक स्थान पर रहकर समय नहीं बिताया था। वे एक स्थान से दूसरे स्थान या यूँ कहे एक जंगल से दूसरे जंगल विचरते हुए वनवास का समय बिताया था। इस यात्रा में उन्हें कई ऋषि मुनियों से मिलना हुआ। उन्होंने उनकी बातों को सुना उनके कष्टों को दूर किया। उन्होंने उन राक्षसों का संहार किया जो मानवता के लिए संकट बने हुए थे, जो धर्म पर चलने वालो के लिए संकट खड़ा कर रहे थे। इसी क्रम में श्रीराम का ऋषि अगस्त्य से भी मिलना हुआ था।

रामटेक ही वह स्थान है, जहां भगवान राम का ऋषि अगत्स्य से मिलना हुआ था
रामटेक ही वह स्थान है, जहां भगवान राम का ऋषि अगत्स्य से मिलना हुआ था। जैसा हम जानते है कि भगवान राम से मिलकर ऋषि अगस्त्य ने उन्हें ऋषियों के कष्टों को बताया साथ ही उन्हें ब्रह्मास्त्र भी प्रदान किया। यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि रावण के साथ हुए भीषण युद्ध में भगवान राम ने इसी ब्रह्मास्त्र उस असुर रावण का संहार किया था और लंका पर विजय पाया था। इस स्थान पर आगे बढ़ते हुए श्रीराम को एक स्थान पर बहुत से हड्डियों का अंबार दिखा। भगवान राम के पूछने पर ऋषि अगस्त्य ने उन्हें बताया कि वे सब उन ऋषियों की हड्डियां हैं, जो यहां पूजा-यज्ञ, ध्यान-साधना किया करते थे। यज्ञ और पूजा करते समय राक्षस विघ्न डालते थे। ऋषियों के ऊपर होने वाले इस अत्याचार को देखकर श्रीराम ने सौगंध खायी कि वह इस धरा को राक्षसों से विहीन कर देंगे, वे सम्पूर्ण राक्षस प्रजातियों का विनाश कर देंगे। यही नहीं ऋषि अगत्स्य ने रावण के अत्याचारों के बारे में उन्हें बताया।

रामटेक मंदिर का इतिहास
रामटेक में भगवान श्री राम (Jay Shree Ram) का एक ऐतिहासिक मंदिर (Ramtek Temple) है। मान्यता है कि समीप ही ऋषि अगस्त्य का आश्रम था और श्रीराम (Shri Ram) ने अपने वनवास (Vanvas) के दौरान यहाँ कुछ समय बिताया था। वनवास के दौरान भगवान राम, भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जब दंडकारण्य वन से पंचवटी की ओर जा रहें थे तो उन्ही दिनों मानसून का समय आरम्भ हो गया था। मानसून की ऋतू चार माह की होती हैं और इन दिनों रुक रुक कर बारिश होती हैं। यही स्थिति उस समय भी थी। अब यही कारण था कि भगवान राम (Jay Shri Ram) ने बरसात के ये दिन किसी एक स्थान पर रुक कर बिताना अधिक उचित समझा। भगवान राम जिस स्थान पर रुके थे वह स्थान यही राम टेक था । भगवान राम (Jay Jay Shri Ram) के रुकने अर्थात टिकने के कारण ही इस स्थान का नाम राम टेक पड़ा हैं। इसी स्थान पर भगवान का अगस्त ऋषि से मिलना हुआ था। इसी स्थान पर माँ सीता ने आस पास के सभी ऋषि मुनियो को भोजन कराया था। इस स्थान का वर्णन वाल्मीकि रामायण और पद्मपुराण में मिलता हैं।

रामटेक में स्थित इस मंदिर का निर्माण रघुजी भोंसले ने करवाया था। रघुजी भोसले 18वीं सदी में नागपुर क्षेत्र के मराठा शासक थे। यह क्षेत्र धार्मिक होने के साथ ही प्राकृतिक रूप से भी मन को सुकून देने वाला है। इसलिए इस बार यदि मौका मिले तो एक बार रामटेक मंदिर (Ramtek Temple Nagpur) अवश्य जाएं!
रामटेक, वह स्थान है जो यह प्रकट करता है कि बुराई करने वाले पापियों का समूह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो जाएं पर एक न एक दिन उनका अंत होना तय है। सनातन धर्म को मिटाने वाली आसुरी शक्तियां (Asuri Shaktiyan) समय समय पर आती रही है। आज ही नहीं, ये आसुरी शक्तियां पहले भी आते रहे है पर इन पापियों को हर बार पराजय का सामना करना पड़ा है। सनातन धर्म (Sanatan Dharma) शाश्वत हैं, शेष तो केवल पंथ हैं, जो आते-जाते रहें हैं।
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कहाँ है रामटेक मंदिर? जानें, भगवान राम से क्या सम्बन्ध है, इस मंदिर का?
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लेखन :
राजीव सिन्हा